मनुष्यों में पोषण ( Nutrition in Humans ) –
मनुष्यों में पोषण के बारे में हम आपको बहुत सरल तरीके से सारी बातें समझायेंगे। आहार नाल मूल रूप मुँह से गुदा तक फैली हुई एक लम्बी नली है। हम तरह-तरह का सेवन करते हैं जो भोजन नली से गुजरता है। प्राकृतिक रूप से भोजन को एक प्रक्रिया से गुजरना होता है जिससे कि वह छोटे-छोटे कणों ने बदल जाता है। इसे हम अपने दाँतों से चबाकर पूरा कर लेते हैं। आहार नाल का आस्तर ( आंतरिक भाग ) बहुत कोमल होता है ; अतः भोजन को गीला किया जाता है जिससे कि इसका मार्ग आसान हो जाये।
जब हम कोई ऐसी चीज कहते हैं या देखते हैं तो हमारे मुँह में पानी आ जाता है। यह वास्तव में केवल जल नहीं है, यह ‘लाला ग्रंथि’ से निकलने वाला एक रस है जिसे ‘लालरस’ या ‘लार’ ( Saliva ) कहते हैं। जो भोजन हम खाते हैं उसकी जटिल रचना के कारण उसका अवशोषण आहार नाल द्वारा होता है जिसमें भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में खंडित किया जाता है। यह काम जैव-उत्प्रेरक के द्वारा किया जाता है जिन्हें हम ‘एंजाइम’ कहते हैं। लार में भी एक एंजाइम होता है जिसे ‘लार एमिलेस’ कहते हैं, यह मंड के जटिल अणुओं को सरल शर्करा में खंडित कर देता है। भोजन को चबाने के दौरान पेशीय जिह्वा ( जीभ ) भोजन को लार के साथ पूरी तरह मिला देती है।
चित्र : मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System)
आहार नली के हर भाग में भोजन की नियमित रूप से गति उसके सही ढंग से प्रक्रमित होने के लिए आवश्यक है। यह क्रमाकुंचन गति पूरी आहार नली ( भोजन नली ) में होती है।
हमारे मुँह से अमाशय तक भोजन ‘ग्रसिका’ या ‘इसोफेगस’ द्वारा ले जाया जाता है। अमाशय एक वृहत अंग है जो आने पर स्वतः फैल जाता है। अमाशय की पेशीय भित्ति भोजन को अन्य पाचक मिलाने में सहायता प्रदान करती है।
ये पाचन कार्य अमाशय की भित्ति में उपस्थित जठर ग्रंथियों के द्वारा संपन्न होता है। जठर ग्रंथियों में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ( HCl ), एक प्रोटीन पाचक एंजाइम पेप्सिन ( C6H6Cl6 ) तथा श्लेष्मा का श्रावण होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक अम्लीय माध्यम तैयार करता है जो पेप्सिन एंजाइम की क्रिया में सहायक होता है। सामान्य स्थितियों में श्लेष्मा अमाशय के आंतरिक आस्तर की अम्ल से रक्षा करता है।
” एसिडिटी या अम्लीयता ” क्या होती है ? हिंदी में। ( What is ‘Acidity’ ? in Hindi )
जब हम भोजन करते हैं तो भोजन हमारे मुख से होकर आहार नली से होते हुए हमारे अमाशय में पहुँच जाती है। अमाशय में भोजन को पचाने के लिए पेप्सिन तथा श्लेष्मा एंजाइम का श्रावण जठर ग्रंथि में होता है। श्लेष्मा का सामान्य कार्य अमाशय में उपस्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अमाशय के आंतरिक परत की रक्षा करना होता है लेकिन जब श्लेष्मा का उत्पादन कम हो जाता है या अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है इसी अम्ल की अधिकता की वजह से पेट में दर्द जैसी पीड़ा उत्पन्न हो जाती है। इसे ही ‘अम्लीयता’ कहते हैं।
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