आग का नाम लेते ही हमारे दिमाग में क्या आता है ? यह बात तो सबको पता है कि प्रकाश और उष्मा।
आग (Fire) वास्तविक रूप से वाष्प जैसा होता है, जो दहन (Combustion) नामक रासायनिक प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप प्राप्त होता है। आग में जिस निश्चित बिंदु पर लपटें उत्पन्न होती हैं, उसे इग्निशन पॉइंट (Ignition Point) कहते हैं। इन लपटों (Flames) में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन मिले होते हैं।
आग प्रकाश ऊष्मा उत्पन्न करती है जो हम सबको पता है। लेकिन आपको यह बात पता है कि आग जलने के लिए क्या-क्या जरूरी होता है ? तो इसका जवाब है – ईंधन, ऑक्सीजन और ऊर्जा (उष्मा)।
ईंधन (Fuel) – ईंधन एक ऐसा पदार्थ या वस्तु है जो ऑक्सीजन के साथ संयोग करके उष्मा उत्पन्न करता है। ईंधन शब्द संस्कृत भाषा के ‘इन्ध’ धातु से निकला है जिसका हिंदी में अर्थ होता है – जलाना। ठोस ईंधन के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण इस प्रकार हैं – लकड़ी, पीट, लिग्नाइट, कोयला आदि। ईंधन के कुछ अन्य भी उदाहरण है जैसे – पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल, गैसोलीन, घरों में खाना बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाला एलपीजी (LPG) इत्यादि।
क्या आपको पता है कि आग जलने के लिए कितनी ऑक्सीजन की मात्रा की आवश्यकता होती है ? इसका जवाब है – 16%। इसका अर्थ है यदि हम आग जलाना चाहते हैं तो वहां पर्यावरण में 16% ऑक्सीजन रहना अनिवार्य है अन्यथा आज नहीं जलेगी। इसके विपरीत यदि हम को आग बुझाना है तो हमें ऑक्सीजन की मात्रा को 16% से 12.5% तक करना होगा, तब आग बुझ जाएगी।
किसी भी पदार्थ को जलाने के लिए उसको कितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है ? यह उस पदार्थ की संरचना और बनावट पर निर्भर करता है। क्योंकि किसी पदार्थ मैं आग तब लगती है जब वह पदार्थ ऊष्मा अवशोषित करके वाष्प में बदल जाता है तो वह वाष्प ही जलता है न कि वह पदार्थ। अगर आसान शब्दों में कहें तो जब किसी भी पदार्थ को जलाया जाता है तो पहले उसको ऊष्मा दिया जाता है, जो उस पदार्थ को वाष्प में बदल देता है और वही वाष्प हमें जलता हुआ दिखाई देता है। एक धातु जिसका नाम सोडियम (Sodium) है, उसको अगर खुले हवा या पानी में भी रख दें तो वह जलने लगता है। क्योंकि उसमें ईंधन और ऊष्मा (ऊर्जा) दोनों पहले से विद्यमान रहती हैं, केवल ऑक्सीजन की कमी होती है। जैसे ही हम उसको हवा या पानी में रखते हैं, वह जलने लगती है। जल का रासायनिक सूत्र होता है H2O।इसका मतलब जल में ऑक्सीजन उपस्थित होता है, इसलिए सोडियम (Na) जल के ऑक्सीजन परमाणु से अभिक्रिया करके जलने लगता है। यदि सोडियम को हवा में रखें तो हम जानते हैं कि हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 21% होती है तो उसको पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल जाएगा और सोडियम जलने लगेगा।
जब आग जलती है तो दहन की प्रक्रिया के दौरान ईंधन के रसायनिक बंद टूटते हैं जिस कारण उष्मीय ऊर्जा
(Thermal Energy) उत्पन्न होती है। दहन के दौरान ईंधन और ऑक्सीजन का कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तन होता है। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे इंधन और ऑक्सीजन के कणों के बीच के बंद टूटते हैं।
ईंधन + ऑक्सीजन = कार्बन डाइऑक्साइड
आग पदार्थ है या नहीं ? तो इसका उत्तर है – नहीं। क्योंकि आज एक ऊर्जा का रूप होता है जिसमें ऊष्मा समाहित होती है। आग की लपटें ठोस जैसी दिखती है परंतु होती नहीं है।